Monday, June 10, 2024

बाल कहानी

    हार जीत 


कवीश रुको, कवीश..।

कबीर ने पीछे से कई आवाज़ लगाईं, लेकिन कवीश ना रुका, वह पैर पटकते हुए घर की तरफ सरपट दौड़ गया। 

घर में घुसते ही बैट को एक तरफ पटक कर मुंह फुलाकर धम्म से सोफे में धंस गया ।

क्या हुआ बेटा? रत्ना ने स्नेह से उसके सिर पर हाथ फिराते हुए पूछा 

"कुछ नहीं "। कवीश ने तुनककर अपने सिर से रतना का हाथ अपने सिर से हटा दिया और आग-बबुला होते हुए बोला 

Wednesday, May 5, 2010

लिख एक कहानी

दिल कहता है , लिख एक कहानी
जिसमे हो परिया, फूल, झरने
और साथ हो प्यारी मेरी नानी

Sunday, February 21, 2010

कविता बनती है तब

कविता बनती है तब जब किसी का दिल टूट जाता है
कविता बनती है तब जब सावन झूम के आता है

Wednesday, February 10, 2010

मै तो तेरी अपनी थी माँ

मै तो तेरी अपनी थी माँ , कुछ सांस मुझे तू लेने देती , कोख तेरी घर था मेरा कुछ देर मुझे सवारने देती .

Tuesday, February 9, 2010

pyar kya hai
प्यार एक बहुत ही प्यारा रिश्ता है ! यह सुख देता है , दिल को सुकून देता है , भगवान ने बहुत
आज का विचार
दोस्ती अनमोल है , इसकी कदर करनी चाहिए ।

Tuesday, February 2, 2010

Ek phool khila jau

मरने से पहले जग में कुछ ऐसा कर जाऊ,
याद करे दुनिया मुझको, एक दीप जला जाऊ,
होंटों पर खिला दूँ मैं मुस्कान, बगियाँ में खिला दूँ
कुछ फूल जग को खुशबुओं की सौगात मैं दे जाऊं...

यह कविता शुभ तारिका के दिसम्बर २००९ (मध्य प्रदेश) के अंक में छापी गयी है... पूरी कविता पढ़ें ॥ आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार रहेगा...