मरने से पहले जग में कुछ ऐसा कर जाऊ,
याद करे दुनिया मुझको, एक दीप जला जाऊ,
होंटों पर खिला दूँ मैं मुस्कान, बगियाँ में खिला दूँ
कुछ फूल जग को खुशबुओं की सौगात मैं दे जाऊं...
यह कविता शुभ तारिका के दिसम्बर २००९ (मध्य प्रदेश) के अंक में छापी गयी है... पूरी कविता पढ़ें ॥ आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार रहेगा...
Tuesday, February 2, 2010
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